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औरत से औरत तक: भारत के गांवों के लिए नई उम्मीद

 

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लघु फिल्म "महिलाओं के प्रति हिंसा की जड़ें" में सदियों से चलीरही गरीबी और महिलाओं के प्रति मताधिकार के अभाव पर प्रकाश डाला गया है

डोरोथी के शब्द

"औरत से औरत तक" और लघु फिल्म "महिलाओं के प्रति हिंसा की जड़ें", दोनों की शुरुआत हुई कि किस तरह से सदियों से चली आ रही गरीबी और मताधिकार के अभाव ने महिलाओं को प्रभावित किया हैसंयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं के अधिकारों के बारे में फिल्मों की एक तिकड़ी पूरा करने के बाद, मैंने अपना ध्यान दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों की ओर दिया । महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य के लिए  अत्‍यधिक प्रतिबद्ध संगठन (जननी) के काम पर फिल्म बनाने के लिए मुझे आमंत्रित किया गया । उनका उद्देश्य जन्म नियंत्रण से संबंधित कलंक को दूर करना और युगल दंपतीयों को प्रशिक्षित करना ताकि वो गांवों की महिलाये, जो अकसर चुप रहती हैं और जिनके पास अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए कोई साधन नहीं है, को सलाह दे सकें उन्होंने महिलाओं को सशक्‍त किया कि वे अपने गर्भधारन पर नियंत्रण पा सकें । उनकी इस असाधारण सफलता को देखकर मैंने अपना ध्यान उनकी सफलता की कहानियां, कि किस तरह उन्होंने अपना काम किया और क्यों' वे सफल रहे, प्रलेख करने मे लगाया ।

उपयोग

• भारत में बढ़ रहे आंदोलन  महिलाओं को आगे कदम रखने और अपने जीवन में अधिक जिम्मेदारी लेने का प्रलेख ।

• ऐसे देशों में जहां महिलाओं को जन्म नियंत्रण की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वंहा महिलाओं को उनके मताधिकार के विषय मे जागरूक करना ।

• जन्म नियंत्रण की शिक्षा के कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को दिखाना, जिनका आयोजन छोटे बजट मे किया जा सकता है ।

सार-संक्षेप

औरत से औरत तक डॉक्यूमेंट्री, भारत के कुछ कम विकसित गांवों की महिलाओं की प्रगतिशील बदलाव की कहानी का वर्णन करती है ।  जीवंत छवियाँ लोगों की मानवता, देहात की खूबसूरती, और साथ ही सदियों पुरानी गरीबी के मार्मिक दृश्य का चित्रण करती है हम ऐसी साहसी महिलाओं से मिलते है, जो एकाकी जीवन से बाहर रही है ताकि वो अन्य महिलाओं को परिवार नियोजन संसाधनों के बारे में शिक्षित करके अपने समुदायों की सेवा कर सके

हम परिवार के सदस्यों से मिलते है जो इन प्रयासों का समर्थन करते है - एक गाँव का पति जो पारंपरिक रूप से-पुरुष प्रधान संस्कृति में अपनी पत्नी के साथ  कंधे से कंधा मिला कर काम करता है; एक सास जो अपनी बहू को प्रोत्साहित करती है कि वह अपने परिवार के परिसर में अकेले रहने के बजाय समुदाय में काम करे; और एक औरत जो गाँव की अन्य महिलाओं को प्रजनन के मुद्दों के बारे में सलाह देती है । वह अपनी बेटी की किशोर उम्र में शादी करने के बजाय उसे कालेज की शिक्षा के लिये भेजना चाहती हैI यह फिल्म भारत के एक शून्य लाभ संस्था - "जननी" के काम का प्रलेख है जो परिवार नियोजन संसाधनों को आसानी से उपलब्ध करा कर, भारतीय गांव की महिलाओं और पुरुषों की स्थिति में सुधार करने के लिए काम करती है ।

आभार सूची

निर्देशक: डोरोथी फैडीमैन
निर्माता: क्रिस्टिन एटवेल और डोरोथी फैडीमैन
क्षेत्र निर्माता / छायाकार: डैनियल मेयर्स
सहयोगी निर्माता: ईव जे आइस्नबयग्र
संपादक: क्रिस्टिन एटवेल और मिका फेरिस
संगीत - स्वर / व्यवस्था: बेथ क्यूईट और एरिका ल्यूकएट, तबला - टिम वीटर
व्यवस्था : बेथ क्यूईट और एरिका ल्यूकएट

Transcription

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Awards

WINNER “Freddie” International Health & Medical Media Awards Women's Health

Reviews

“I was moved by the film because it presents the lives of people truthfully and without being sentimental or condescending, focuses on hope rather than despair. It uses true life to challenge stereotyped notions, [and] within those 28 minutes, it offers a life full of experiences.”
CHITRA BANERJEE DIVIKARUNI
Novelist, Co-founder of Maitri, an empowering association for South Asian women in the San Francisco Bay Area

“Woman by Woman” carries a powerful message for women in rural India-freedom to make choices about your reproductive rights is power and it can be the first step toward upliftment from a seemingly endless cycle of poverty, overwork, and continual childbearing. On a more subtle level, the film also portrays how change can be effected within a community, one woman by one woman... The scenes and stories in “Woman by Woman” are everyday scenes from rural India, but the women's struggles they depict are symbolic of the struggles endured by women anywhere in the world.
NITYA RMANAN
India Currents

“Over 1 billion people - one-sixth of the global population - live in India. Fadiman profiles a revolutionary social program in rural India. Seeking to control the country's dire population problem, a group called Janani (mother in Hindi) was formed in India five years ago, and is dedicated to providing family planning and counseling services to the country's rural women.”
ROBYN ISRAEL
Palo Alto Online

“Recent focus on the plight of women in Afghanistan makes this message of female self-empowerment in a male-dominated society a good choice for women's studies and cultural anthropology collections.”
VIDEO LIBRARIAN